रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण भारत ने क्यों लगाया गेंहू पर प्रतिबंध, जानिए संपूर्ण व्यौरा
भारत ने रूस यूक्रेन के कारण गेंहू के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। दुनिया के विशेषज्ञ इसे दुनिया के लिए एक बहुत ही गंभीर समस्या मान रहे हैं। इस भीषण युद्ध के चलते पहले से ही पूरी दुनिया गेहूं की गंभीर परेशानी से जूझ रही है। जिसकी वजह से विश्व के विकसित और विकासशील देशों में इसके बुरे असर देखने को मिल रहे हैं। आपको बता दे रूस यूक्रेन जंग के कारण ऐसी आशंका जताई जा रही है कि दुनिया भर में महंगाई और तेजी से बढ़ेगी। इसमें पहले ईंधन और उसके बाद गेहूं सबसे ज्यादा चर्चा में है। कुछ समय पहले भारत दुनिया में गेहूं का निर्यात कर देशों की मदद करने की बातें कर रहा था लेकिन हाल ही में सरकार ने गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। भारत सरकार के इस फैसले की वजह से गेहूं के अंतरराष्ट्रीय कीमतों में उछाल बताया जा रहा है। लेकिन वजह कुछ भी हो भारत सरकार के इस फैसले से संपूर्ण विश्व पर एक गंभीर खतरा होने की आशंका जताई जा रही है।गेहूं का निर्यात
क्योंकि हम सभी जानते हैं रूस और यूक्रेन दोनों गेंहू के निर्यातक देश हैं दोनों मिलकर दुनिया के लगभग एक चौथाई गेहूं की आपूर्ति को पूरा करते हैं। लेकिन भारत में गेहूं के दामों में तेजी से उछाल के बाद भारत सरकार ने यू-टर्न ले लिया है। हालांकि भारत की हिस्सेदारी गेहूं के निर्यात (wheat export) में 1 फ़ीसदी से भी कम है।ये भी पढ़ें: गेहूं के फर्जी निर्यात की जांच कर सकती है सीबीआई
भारत द्वारा गेंहू का निर्यात
भारत धीरे धीरे गेहूं का एक निर्यातक देश बनता जा रहा है। भारत के पास इतना स्टॉक है कि वह अपने देश की जनता का पेट भरने के साथ-साथ एक करोड़ टन तक गेहूं का निर्यात भी कर सकता है। इस वर्ष भारत मार्च के तीसरे सप्ताह तक लगभग 70 लाख टन गेहूं का निर्यात अपने पड़ोसी देशों को कर चुका है। जिनमें बांग्लादेश, श्रीलंका और UAE जैसे कई देश भी सम्मिलित हैं। भारत को अपने पड़ोसी देशों के साथ गेहूं निर्यात के संबंध बनाए रखने के साथ-साथ अपने 80 करोड़ गरीबों के पेट भरने की भी चिंता है।भारत और चीन गेहूं के सबसे बड़े उत्पादक लेकिन निर्यातक नहीं
हम सभी जानते हैं कि भारत चीन के बाद दुनिया में सबसे ज्यादा गेहूं का उत्पादक देश है लेकिन दोनों देश अपनी घरेलू कुछ मांग के कारण दुनिया के शीर्ष गेहूं निर्यातकों में शामिल नहीं है। आपको बता दें कि रूस और यूक्रेन के बीच जंग की वजह से गेहूं की अंतरराष्ट्रीय कीमत में लगभग 40 फ़ीसदी तेजी आई है। इसलिए कई विकासशील देशों में इसका असर दिखाई देने के साथ ही गेहूं की बढ़ती कीमतों का विरोध भी होने लगा है।ये भी पढ़ें: अब सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों को मिलेगा सरकार की योजनाओं का लाभ केंद्र सरकार ने इस बात की जानकारी शुक्रवार रात एक प्रेस कांफ्रेंस में दी कि भारत सरकार द्वारा गेहूं के निर्यात में तत्काल प्रबंध लगाया जा रहा है। जिसके चलते भारत में गेहूं की कीमतों के बढ़ने के साथ ही आटे की कीमत में भी उछाल देखा जा सकता है। भारत में गेहूं की कीमतें आसमान छू रही है। कुछ बाजारों में तो गेहूं 25 सौ रुपए प्रति क्विंटल की दर से बिक रहा है। जो सरकार के न्यूनतम मूल्य ₹2015 से काफी अधिक है। सरकार ने अपने बयान में कहा है कि यह कदम देश की खाद्य सुरक्षा का प्रबंधन करने और अन्य भुखमरी वाले देशों की जरूरतों को पूरा करने के लिए उठाया गया है। भारत सरकार इस गेहूं का इस्तेमाल पड़ोसी और अन्य विकासशील देशों की खाद्य आवश्यकताएं की पूर्ति करने के लिए करेगी।